1222 1222 122
जिधर में देखुँ दिखता तू वहाँ है
मुहब्बत दिल में वो अब भी जवां है
रहे यूँ ही सलामत इश्क अपना
किसी में आज वो जज्बा कहाँ है
बसे हो आज भी दिल में मिरे तुम
मुहब्बत दर्द - ऐ- दिल की निशाँ है
धड़कता है मिरे सीने में अब भी
तिरा इस ज़िन्दगी में वो मकाँ है
मिले सब खुशियाँ जीवन में तुमको
तिरे गम सारे मेरी कहकशाँ है
लुटा दूंगा में तुझपे ज़िन्दगी ये
अभी भी ये सलामत जाविदाँ है
( लक्ष्मण दावानी )
20/11/2016
©laxman dawani
#BehtaLamha #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge