मोहब्बत की सिलवटों पे हमने कायनात बिछा दी,,
ओढ़ कर रेशमी जुल्फे लफ्ज़ो ने ,,
तेरे इश्क में एक इबादत सजा दी ,,
चढ़ा मुझ पर तेरे मोहब्बत का रंग कुछ यूं बेताब है ,,
क्या करें हम अब इंतज़ार में कायनात हैं,,
आपके हो जाने को हम भी दिल से रजामंद हैं ,,
मकसद है सिर्फ इतनी की ,
जितनी हमें ये मोहब्बत की बाजी है ,,
खरीददार हो तुम इस दिल के ,,
सौदा ए अपने दिल का जाना सिर्फ तुम्हीं से
किया है ,,
अपना दिल ए जिगर तुम्हें देकर ,,
हमने सिर्फ तुझसे मोहब्बत किया है ,,
अर्जी थी मेरे उस रब से दुआओ की,
मोहब्बत मुक्कमल कैसे ना होता,
और ताल्लुक कुछ ऐसा था तुझसे,,
मेरे दिल का तू किरायदार कैसे ना होता ,,
जिन नैनो ने सजाया है उनको,
जिन फरिश्तों ने मिलाया है उनसे,
आज मोहब्बत में दिल की धड़कन सजा दे,,
ऐ रब आज मोहब्बत की दास्तान ए पैगाम सुना दे ,,
उन लखिरो को मिलाने का ऐलान ए दास्तान जारी कर ,
आज इबादत में मोहब्बत के नूर ए जहां को तू भी सलाम कर ,,
आ कुछ यूं बैठे दोनों और दुआ चाँद को देख कर करे
की आज तारा भी टूट जाए हमारी आशिकी देखकर
आज तारा भी टूट जाए हमारी आशिकी देखकर.....
©Pragya Karn
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