सुनने का मन ही नही है तुम्हारा...
तो फिर मैं बयां क्या करूँ...
तेरे कन्धे सिर रख रोने का मन करे..
तो फिर बता मैं क्या करूँ....
कर लिया तेरे लिए खुद को अकेला..
इस से ज्यादा मैं वफ़ा क्या करूँ ..
तेरी सौंपी उदासी होती है हर पल मेरी आँखों में..
अब इस से जहरी मैं नशा क्या करूँ..
तुझसे इश्क़ करके अकेला ही रहा ..
इस से ज्यादा मैं तन्हा क्या करूँ...
मुझको नही चाहिए जूठी तसलियाँ तेरी...
मन है सारे झंझटों से मैं जुदा करूँ..
तेरे कन्धे सिर रख रोने का मन करे..
तो फिर बता मैं क्या करूँ....
©पवन कश्यप
#Journey