सब जड़े ही तो हैं...कोई साख है क्या ? जल भी गया क | हिंदी शायरी
"सब जड़े ही तो हैं...कोई साख है क्या ?
जल भी गया कुछ तो...बताओ राख हैं क्या ?
रुकने को कहा हैं जब...रुकते नहीं क्यों फिर ?
घर में ही तो हो...कोई सालाख हैं क्या ?"
सब जड़े ही तो हैं...कोई साख है क्या ?
जल भी गया कुछ तो...बताओ राख हैं क्या ?
रुकने को कहा हैं जब...रुकते नहीं क्यों फिर ?
घर में ही तो हो...कोई सालाख हैं क्या ?