"तू कह के गई थी आउंगी जरूर
हम इंतजार ....
उन शाखाओं की तरह कर रहे थे जो मुरझाए पतियों को देख उदास हो सावन का इंतजार करते है
आई तो नही खबर तुम्हारी ...
हालत हमारी रेशम को बुनने वाले जीव के जैसी हो गई थी जो
रेशम को बुनते रेशम में ही प्राण त्याग देते है ..
©Tejveer charan"