White कुछ यूँ हम तोहमतों से नवाज़े गए,
हुए फ़कीर जब ख्वाबों के जनाज़े गए,
शिकस्त नज़रें उठी सहारे की तलाश में,
झुकी वों जब तबादले सवाल दागे गए,
हर्फ-ए-मोहब्बत तमाशाई था उस रोज़,
जब वादों के फेहरिश्त फरियादों से बाटें गए,
लिहाज़न उन्सियत ज़ज्बात ज़िंदा रखे,
सो बेफ़ुज़ूल हम मोहब्बत में आज़माये गए,
-Ibrat
Shubhra Tripathi
©Ibrat
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