White षड्यंत्र से तुम सेनापति बन भी गए
तो क्या बने,
क्या उम्मीद करेगी मासूमों की भीड़,
क्या सिखाने की काबिलियत है तुममें
षड्यंत्र, झूठ, मक्कारी, दोगलापन
और फिर....
उस पर भी बनावटी मासूम नकली चेहरा
दोहरा चरित्र, दीमक और ढकोसलों की दीवारें
खैर, कलम भी शर्मिंदा है तुम्हारे कारनामों पर
तुम्हें लिखने में भला कहां सुकून मिलेगा....
कवि अकेला
03 सितंबर 2024
©KAVI AKELA
#sad_shayari व्यंग