सनम के दीदार को शाम-ओ-सहर आँखें तरसती हैं याँ भीगा | हिंदी शायरी Video

"सनम के दीदार को शाम-ओ-सहर आँखें तरसती हैं याँ भीगा मन,निगाहों में बसी यादें बरसती हैं लिखूँ क्या कोरे काग़ज़ पे मैं अपना हाल टूटा सा कहीं राहत नहीं दिल को सनम आहें सिसकती हैं ©neha mathur "

सनम के दीदार को शाम-ओ-सहर आँखें तरसती हैं याँ भीगा मन,निगाहों में बसी यादें बरसती हैं लिखूँ क्या कोरे काग़ज़ पे मैं अपना हाल टूटा सा कहीं राहत नहीं दिल को सनम आहें सिसकती हैं ©neha mathur

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