White मुलाक़ाते अधूरी थी मग़र कुछ पूरा था तो वो था त | हिंदी शायरी

"White मुलाक़ाते अधूरी थी मग़र कुछ पूरा था तो वो था तेरा साथ नजदीकियों से ज्यादा दूरियाँ रही कुछ था वो था तेरा अहसास। कभी लड़कर कभी झगड़कर, कभी समझाकर तो कभी समझकर कभी कम तो कभी ज्यादा मग़र हर परिस्थिति में खड़े रहें। अजबनी से अज़ीज़ हो गये और मुझमें मुझसे ज्यादा घुल गये तुम माना मिलना महज़ इक इत्तेफ़ाक था मग़र अब मेरा शहर हो गये तुम। मेरी रातों का सवेरा हो गये तुम, महीना बहुत खास था वो, "हमारी ज़िन्दगी के सावन का"और आज इतने सावन साथ जी लिये हम। ©nikita kothari"

 White मुलाक़ाते अधूरी थी मग़र कुछ पूरा था तो वो था तेरा साथ
नजदीकियों से ज्यादा दूरियाँ रही कुछ था वो था तेरा अहसास।

कभी लड़कर कभी झगड़कर, कभी समझाकर तो कभी समझकर
कभी कम तो कभी ज्यादा मग़र हर परिस्थिति में खड़े रहें।

अजबनी से अज़ीज़ हो गये और मुझमें मुझसे ज्यादा घुल गये तुम
माना मिलना महज़ इक इत्तेफ़ाक था मग़र अब मेरा शहर हो गये तुम।

मेरी रातों का सवेरा हो गये तुम, महीना बहुत खास था वो,
"हमारी ज़िन्दगी के सावन का"और आज इतने सावन साथ जी लिये हम।

©nikita kothari

White मुलाक़ाते अधूरी थी मग़र कुछ पूरा था तो वो था तेरा साथ नजदीकियों से ज्यादा दूरियाँ रही कुछ था वो था तेरा अहसास। कभी लड़कर कभी झगड़कर, कभी समझाकर तो कभी समझकर कभी कम तो कभी ज्यादा मग़र हर परिस्थिति में खड़े रहें। अजबनी से अज़ीज़ हो गये और मुझमें मुझसे ज्यादा घुल गये तुम माना मिलना महज़ इक इत्तेफ़ाक था मग़र अब मेरा शहर हो गये तुम। मेरी रातों का सवेरा हो गये तुम, महीना बहुत खास था वो, "हमारी ज़िन्दगी के सावन का"और आज इतने सावन साथ जी लिये हम। ©nikita kothari

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