मन का लिखू, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। । किसी और के | हिंदी Sad

"मन का लिखू, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। । किसी और के बारे मैं लिखू ,तो अपने रूठ जाते है। । कमबख्त ऐसा है जिंदगी मैं अफ़साना। ।। रूबरू रोज होती हूं इस जिंदगी के अफ़साने से। ।। ©Zindgi Ka Safar # priyaa"

 मन का लिखू, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। ।
किसी और के बारे मैं लिखू ,तो अपने रूठ जाते है। ।
कमबख्त ऐसा है जिंदगी मैं अफ़साना। ।।
रूबरू रोज होती हूं इस जिंदगी के अफ़साने से। ।।

©Zindgi Ka Safar # priyaa

मन का लिखू, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। । किसी और के बारे मैं लिखू ,तो अपने रूठ जाते है। । कमबख्त ऐसा है जिंदगी मैं अफ़साना। ।। रूबरू रोज होती हूं इस जिंदगी के अफ़साने से। ।। ©Zindgi Ka Safar # priyaa

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