रुखों पर गुल भी खिलते नदी के दो किनारे भी मिलते हो | हिंदी विचार
"रुखों पर गुल भी खिलते
नदी के दो किनारे भी मिलते
हो सकता है चाँद जमीं पर भी आ जाता
पर खैर जाने दीजिए
अपना काम करते है ना..
प्यार वगैरह किताबों के लिए रहने देते है
ठीक है ना?
~सुयशी"
रुखों पर गुल भी खिलते
नदी के दो किनारे भी मिलते
हो सकता है चाँद जमीं पर भी आ जाता
पर खैर जाने दीजिए
अपना काम करते है ना..
प्यार वगैरह किताबों के लिए रहने देते है
ठीक है ना?
~सुयशी