युध्द होते रहेंगें!
मारे जाएँगें निर्दोष
ख़ुश होंगें सत्ता में बैठे लोग
पीठ थपथपाई जाएँगीं
अपने हाथों से अपनी
भयावह होंगें मंज़र
ख़ून से लथपथ पड़े होंगें शव
कुछ शव पड़े होंगें टुकड़ों में
कुछ लाशों को खा रहे होंगें,गिद्ध
हो रहे होंगें ख़ुश,
इंसान की बेवकूफ़ी पर
कुछ इंसान भी होते हैं गिद्ध,
निगल जाते हैं जिंदा इन्सानों को,
धकेल देते हैं वेवजह युध्द में देश को
और देखते हैं तमाशा
और वहीं
बंकरों में दुबके होंगें कुछ नागरिक
सोचते होंगें,शायद ! तबाही थम जाये
ताकि बच जाएँ
और मारे जाने वाले निर्दोष, निष्कपट नागरिक
जिससे बच जाएँगें
किसी की आँख का तारा
किसी का जिंदगी का सहारा
किसी का सुहाग
किसी की खुशियाँ
किसी के जज़्बात
और बहुत कुछ है ..... जो बचा रह जायेगा।
अनिल कुमार निश्छल
©ANIL KUMAR
#Chess युध्द होते रहेंगें!
मारे जाएँगें निर्दोष
ख़ुश होंगें सत्ता में बैठे लोग
पीठ थपथपाई जाएँगीं
अपने हाथों से अपनी
भयावह होंगें मंज़र
ख़ून से लथपथ पड़े होंगें शव
कुछ शव पड़े होंगें टुकड़ों में