मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी
तुम पहली तपिश बनोगे क्या
मैं हाथ पकड़ के चल दूंगी
तुम साथ मेरे चल दोगे क्या
यूं तो मौसम आएंगे
कुछ बादल भी हट जाएंगे
पतझड़ की रूखी रातों में
शायद हम फिर लड़ जाएंगे
तुम फिर एक बार मना लोगे क्या
आकर गले से लगा लोगे क्या
माना मैं तुमसे रूठूगी
तो प्यार से समझा लोगे क्या
मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी
तुम मेरी तपिश बनोगे क्या
तुमसे मैं बिछड़ी अगर कभी
तो कही नही फिर जाऊंगी
जिस चौराहे छोड़ोगे
हर सावन वही गुजारूंगी
हर दफा मिलने आओगे क्या
अपने संग मुझे ले जाओगे क्या
मैं ओस की ठंडी बूंद बनूंगी
तुम पहली तपिश बन पाओगे क्या
©Himanshi chaturvedi
#Light