"धुंधली यादों की पोटलियाँ
कभी भी खुल जातीं है
कभी तो मीठी बातें हँसा जाती हैं
तो कभी कड़वी बाते मन को रुलाती हैं
वहीं कुछ गुदगुदाहट की यादें
आज भी करती हैं गुदगुदी
धुंधली यादें एसी ही होती हैं
धुंधली यादों की पोटलियाँ
कभी भी खुल जातीं है.......
©Shikha Srivastava
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