मैं फिर आ रहा हूँ मुम्बई तुम्हें जि भर के निहारने को,
हाँ मुश्किल थोड़ा ज्यादा है....
पर मैं आ रहा हूँ अपने किस्मत को सवारने को।
सपनो का शहर है जो,
कुछ सपने बटोर कर ला रहा हूँ मैं यहाँ निखारने को।
मैं फिर आ रहा हूँ मुम्बई तुम्हें जि भर के निहारने को ...
©Deepak Rana
मै फिर आ रहा हूँ
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