जब बढ़ती जनसंख्या के साथ भी तुम अकेले पड़ जाना। तब ध | हिंदी शायरी
"जब बढ़ती जनसंख्या के साथ भी तुम अकेले पड़ जाना।
तब धोखे, झूठ और फरेब से तुम अकेले मत लड़ जाना।।
उठाकर मुरली छेड़ना सुर शांत हुए संगीत में,
खो जाना मधुर राग किसी प्रियतमा के प्रीत में।।"
जब बढ़ती जनसंख्या के साथ भी तुम अकेले पड़ जाना।
तब धोखे, झूठ और फरेब से तुम अकेले मत लड़ जाना।।
उठाकर मुरली छेड़ना सुर शांत हुए संगीत में,
खो जाना मधुर राग किसी प्रियतमा के प्रीत में।।