कौन नहीं जहां में आज जो तन्हा नहीं किसी को घर है | हिंदी कविता Video

"कौन नहीं जहां में आज जो तन्हा नहीं किसी को घर है तो उसको कद्र नहीं। जिसको कद्र हो सबकी उसके लिए द्वार नहीं। द्वार गर खुलें भी तो  अब कोई आता जाता  नहीं। ना भाई बहन ना ही रिश्ते नाते। किसी से सुलह या लडाई भी नहीं। सोफ़ा टेबल और हाथों में मोबाइल, फिर से जब रह जाती तनहाई । संग किसी के वार्तालाप नहीं। तो रहती संग अपनी ही परछाई ।। स्वरचित स्नेह शर्मा ©#Sneha Sharma "

कौन नहीं जहां में आज जो तन्हा नहीं किसी को घर है तो उसको कद्र नहीं। जिसको कद्र हो सबकी उसके लिए द्वार नहीं। द्वार गर खुलें भी तो  अब कोई आता जाता  नहीं। ना भाई बहन ना ही रिश्ते नाते। किसी से सुलह या लडाई भी नहीं। सोफ़ा टेबल और हाथों में मोबाइल, फिर से जब रह जाती तनहाई । संग किसी के वार्तालाप नहीं। तो रहती संग अपनी ही परछाई ।। स्वरचित स्नेह शर्मा ©#Sneha Sharma

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