।। जुदाई का आलम मत पुछो साहब आँखों में नमी,होठों | हिंदी कविता

"।। जुदाई का आलम मत पुछो साहब आँखों में नमी,होठों पे हंसी सायद एक दूसरे को दिलसा दे रहे थे वादे किए थे जो एक दूसरे को सायद उन्हे भूला रहे थे आँखों में अश्क लिए दोनों अपनी ‌अपनी राहो पे जा रहे थे लगता है सायद अपनी विरह की पीड़ छुपा रहे थे।। ©Anisha Khan Malik"

 ।। जुदाई का आलम मत पुछो साहब 
आँखों में नमी,होठों पे हंसी सायद
एक दूसरे को दिलसा दे रहे थे
वादे किए थे जो एक दूसरे को 
सायद उन्हे भूला रहे थे
आँखों में अश्क लिए दोनों
अपनी ‌अपनी राहो पे जा रहे थे
लगता है  सायद अपनी विरह 
की पीड़ छुपा रहे थे।।

©Anisha Khan Malik

।। जुदाई का आलम मत पुछो साहब आँखों में नमी,होठों पे हंसी सायद एक दूसरे को दिलसा दे रहे थे वादे किए थे जो एक दूसरे को सायद उन्हे भूला रहे थे आँखों में अश्क लिए दोनों अपनी ‌अपनी राहो पे जा रहे थे लगता है सायद अपनी विरह की पीड़ छुपा रहे थे।। ©Anisha Khan Malik

#Connection

People who shared love close

More like this

Trending Topic