।। जुदाई का आलम मत पुछो साहब
आँखों में नमी,होठों पे हंसी सायद
एक दूसरे को दिलसा दे रहे थे
वादे किए थे जो एक दूसरे को
सायद उन्हे भूला रहे थे
आँखों में अश्क लिए दोनों
अपनी अपनी राहो पे जा रहे थे
लगता है सायद अपनी विरह
की पीड़ छुपा रहे थे।।
©Anisha Khan Malik
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