जब तय है कि दिन आखिरी होगा
हर कय का अंजाम माटी ही होगा
तो जब जिंदा ये माटी.. पसीने की बू क्यों है?
माटी की महक से गुलशन ये जहां कब होगा?
मेरे महल के कंगूरो का सर बहुत ऊंचा है
उन सरों से शिकन के रुखसत का पल कब होगा?
सिमेट लिया शानो शौकत को बाहों में कस कर
कि जब ये सिमिटेगी मुझे,मेरी नम आंखों तक पहुंचने कोई नहीं होगा।