न जाने कैसी हो गई हूं मैं?
न किसी से बात करने का दिल करता है...
और न ही किसी से मिलने का,,,,
बाहर जाने का भी मन नहीं होता अब,
बस अकेले रहना रास आने लगा है मुझे।
न ही दिल में कोई फीलिंग्स बाकी हैं....
हंसती हूं तो लगता है एक बोझ रखा है होंठों पर,,,
रोती हुई आंखें भला किसको पसंद होती हैं ?
अब बस खामोशी है....😶
मेरे और इस चार दीवारी के बीच🫣
और कुछ नहीं👎
बस खामोशी 🤫!!!!
©Bikhre lafz
Na jane kaisi ho gyi hu main....
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