तेरी अनकही बातों को मैं समझूँ बिना बोले ही तेरे ज | हिंदी Poetry

"तेरी अनकही बातों को मैं समझूँ बिना बोले ही तेरे जज़्बातों को पढ़ लू तेरे शोर के बीच छुपी खामोशी को भी मैं समझूँ लेकिन फिर भी पता नहीं क्यूँ तेरा ना हो सकूँ! क्या वक़्त की साजिश इसे मैं समझूँ या फिर समझूँ क़िस्मत का खेल नदी के दो किनारों की तरह जो साथ रहकर भी एक दूसरे से है दूर ©Chandra Mohan Singh"

 तेरी अनकही बातों को मैं समझूँ 
बिना बोले ही तेरे जज़्बातों को पढ़ लू 
तेरे शोर के बीच छुपी 
खामोशी को भी मैं समझूँ 
लेकिन फिर भी पता नहीं 
क्यूँ तेरा ना हो सकूँ! 
क्या वक़्त की साजिश इसे मैं समझूँ 
या फिर समझूँ क़िस्मत का खेल 
नदी के दो किनारों की तरह जो 
साथ रहकर भी एक दूसरे से है दूर

©Chandra Mohan Singh

तेरी अनकही बातों को मैं समझूँ बिना बोले ही तेरे जज़्बातों को पढ़ लू तेरे शोर के बीच छुपी खामोशी को भी मैं समझूँ लेकिन फिर भी पता नहीं क्यूँ तेरा ना हो सकूँ! क्या वक़्त की साजिश इसे मैं समझूँ या फिर समझूँ क़िस्मत का खेल नदी के दो किनारों की तरह जो साथ रहकर भी एक दूसरे से है दूर ©Chandra Mohan Singh

पास होकर भी है दूर
#kismatkakhel #Time #Tanhai

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