दिल में लगी थी वो प्यास जागी है, आपसे मिलने की आस | हिंदी शायरी

"दिल में लगी थी वो प्यास जागी है, आपसे मिलने की आस बाकी है यूँ आदत न थी ऐसे तड़पने की ऐ खुदा मेरी कितनी सजा और बाकी है। अगर तुमसे कोई पूछे बताओ जिंदगी क्या है, हथेली पर जरा सी ख़ाक रखना और उड़ा देना। हर बार हम ही जीतें, ऐसा जरूरी तो नहीं, क्योंकि हारना तो विपक्षी भी नहीं चाहता, इसलिए मेहनत करो और परिणाम पाओ, क्योंकि मेहनत ही सफलता की कुंजी है। ©Ramdayal Kumar"

 दिल में लगी थी वो प्यास जागी है,
आपसे मिलने की आस बाकी है
यूँ आदत न थी ऐसे तड़पने की ऐ खुदा
मेरी कितनी सजा और बाकी है।

अगर तुमसे कोई पूछे बताओ जिंदगी क्या है,
हथेली पर जरा सी ख़ाक रखना और उड़ा देना।

हर बार हम ही जीतें, ऐसा जरूरी तो नहीं,
क्योंकि हारना तो विपक्षी भी नहीं चाहता,
इसलिए मेहनत करो और परिणाम पाओ,
क्योंकि मेहनत ही सफलता की कुंजी है।

©Ramdayal Kumar

दिल में लगी थी वो प्यास जागी है, आपसे मिलने की आस बाकी है यूँ आदत न थी ऐसे तड़पने की ऐ खुदा मेरी कितनी सजा और बाकी है। अगर तुमसे कोई पूछे बताओ जिंदगी क्या है, हथेली पर जरा सी ख़ाक रखना और उड़ा देना। हर बार हम ही जीतें, ऐसा जरूरी तो नहीं, क्योंकि हारना तो विपक्षी भी नहीं चाहता, इसलिए मेहनत करो और परिणाम पाओ, क्योंकि मेहनत ही सफलता की कुंजी है। ©Ramdayal Kumar

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