मैं राही रिवायतों का मगर रिश्तों के सफ़र में कुछ | हिंदी लव

"मैं राही रिवायतों का मगर रिश्तों के सफ़र में कुछ नही हूं। हिसार मैं ठहरा हूं मगर घर में कुछ नहीं हूं।। मैं सम्भाल कर चला था जिस शक्श को। मगर वक्त ही है।। आज़ उसकी नजर में कुछ नहीं हूं।। ©मनु"

 मैं राही रिवायतों का 
मगर रिश्तों के सफ़र में 
कुछ नही हूं।

हिसार मैं ठहरा हूं मगर 
घर में कुछ नहीं हूं।।

मैं सम्भाल कर चला था 
जिस शक्श को।
 मगर वक्त ही है।।
आज़ उसकी नजर में 
कुछ नहीं हूं।।

©मनु

मैं राही रिवायतों का मगर रिश्तों के सफ़र में कुछ नही हूं। हिसार मैं ठहरा हूं मगर घर में कुछ नहीं हूं।। मैं सम्भाल कर चला था जिस शक्श को। मगर वक्त ही है।। आज़ उसकी नजर में कुछ नहीं हूं।। ©मनु

#Dhund लव सैड शायरी

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