खुद बाजार में बिठा के उसे बाज़ारू कहता है ये समाज | हिंदी Shayari

"खुद बाजार में बिठा के उसे बाज़ारू कहता है ये समाज वो नरवृक है जो दिन में गाली देके रातों को जिस्म नोचता है ©Dhaaga"

 खुद बाजार में बिठा के
उसे बाज़ारू कहता है

ये समाज वो नरवृक है
जो दिन में गाली देके रातों को जिस्म नोचता है 

©Dhaaga

खुद बाजार में बिठा के उसे बाज़ारू कहता है ये समाज वो नरवृक है जो दिन में गाली देके रातों को जिस्म नोचता है ©Dhaaga

Manto ki Shayari aur baatein padhke Khayal aaya ke wp auratein bazaaru kabhi thi nahi, hum logo ne, is samaj ne use waha bithaya aur wo bhi apne matlab aur hawas ke liye.

Use wahaa bithake apna matlab nikalte rehte hai aur logo ke saamne unhe gaali bhi dete rehte hai.

Do muh waale bhediya hai ye samaj.


#BoneFire #dilkeehsaas #dhaaga #prostitute #prostitution #Deepthoughts

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