White बे-फ़ैज़ इक चराग़ बताया गया मुझे
सूरज बुझा तो ढूंढ के लाया गया मुझे
उभरा हर एक बार नया फूल बन के मैं
मिट्टी में जितनी बार मिलाया गया मुझे
काग़ज़ क़लम के बीच रहा क़ैद उम्र भर
लिखा गया मुझे न भुलाया गया मुझे
हैरान हूं मैं वक़्त की तक़सीम देखकर
किसके लिए था किसपे लुटाया गया मुझे
पहले कहा गया कि लब आज़ाद हैं तेरे
मैं बोलने लगा तो डराया गया मुझे
शामिल तो कर लिया गया अहबाब में मगर
महफ़िल में सबसे दूर बिठाया गया मुझे
‘इक़बाल अशहर’
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©ख़्वाबों की दुनिया
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