Arz Kiya Hai
Sunday, 18 December | 05:00 pm
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हम कितनी ही बार दिल की बात दिल में ही रखे रह जाते हैं। ज़रूरी है उन बातों को कह देना। कभी कहानी में कभी कविताओं में और कभी ख़ामोशी से।
इस बार हम अपनी ख़ामोशी को बनाकर अल्फ़ाज़ इस बार हम करेंगे अर्ज़।
तो अर्ज़ किया है...