माथे की लकीरों में उलझी उदासियों को वो अपनी मुस्का | हिंदी Quotes

"माथे की लकीरों में उलझी उदासियों को वो अपनी मुस्कानों से छुपाता है, मैं जब भी चलती हूँ भीड़ में वो बाहों की आड़ बनाता है, हाँ मुझसे रूठा है महबूब मेरा, पर उसे प्यार जताना आता है!"

 माथे की लकीरों में उलझी उदासियों को वो अपनी मुस्कानों से छुपाता है,
मैं जब भी चलती हूँ
भीड़ में वो बाहों की आड़ बनाता है,
हाँ मुझसे रूठा है महबूब मेरा,
पर उसे प्यार जताना आता है!

माथे की लकीरों में उलझी उदासियों को वो अपनी मुस्कानों से छुपाता है, मैं जब भी चलती हूँ भीड़ में वो बाहों की आड़ बनाता है, हाँ मुझसे रूठा है महबूब मेरा, पर उसे प्यार जताना आता है!

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