काली सा क्रोध है सीता माता सी कोमलता है। बहन,मां,प | हिंदी कविता

"काली सा क्रोध है सीता माता सी कोमलता है। बहन,मां,पत्नी हर रूप में सरलता है। तुझसे संसार आगे बढ़ता है चलता है, तू अद्वितीय है नारी तुझसे दो घरों का दीपक जलता है। #Happy women's day ©kalamwali6511"

 काली सा क्रोध है
सीता माता सी कोमलता है।
बहन,मां,पत्नी
हर रूप में सरलता है।
तुझसे संसार आगे बढ़ता है
चलता है,
तू अद्वितीय है नारी
तुझसे दो घरों का दीपक जलता है।
#Happy women's day

©kalamwali6511

काली सा क्रोध है सीता माता सी कोमलता है। बहन,मां,पत्नी हर रूप में सरलता है। तुझसे संसार आगे बढ़ता है चलता है, तू अद्वितीय है नारी तुझसे दो घरों का दीपक जलता है। #Happy women's day ©kalamwali6511

#womensday #poem

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