हाँ, यकसां कभी कोई भीगा लम्हा जब तेरे साथ का गु | हिंदी Poetry

"हाँ, यकसां कभी कोई भीगा लम्हा जब तेरे साथ का गुज़र जाता है, ठीक सटकर मेरी पीठ से ठहर सा जाता है छाप कोई- हृदय में गहरी टीस सी और बोझ सा फ़क़त कुछ पलकों पर, वो आख़िरी मुलाक़ात- आह! होते-होते जो रह गयी अधूरी... @manas_pratyay ©river_of_thoughts"

 हाँ, यकसां कभी कोई भीगा लम्हा 
जब तेरे साथ का
गुज़र जाता है, ठीक सटकर
मेरी पीठ से
ठहर सा जाता है छाप कोई-
हृदय में गहरी टीस सी
और
बोझ सा फ़क़त कुछ
पलकों पर,
वो आख़िरी मुलाक़ात-
आह! होते-होते जो रह गयी अधूरी...

@manas_pratyay

©river_of_thoughts

हाँ, यकसां कभी कोई भीगा लम्हा जब तेरे साथ का गुज़र जाता है, ठीक सटकर मेरी पीठ से ठहर सा जाता है छाप कोई- हृदय में गहरी टीस सी और बोझ सा फ़क़त कुछ पलकों पर, वो आख़िरी मुलाक़ात- आह! होते-होते जो रह गयी अधूरी... @manas_pratyay ©river_of_thoughts

#बोझ

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