बुलाती देवकी फिर से, निभाने प्रीत आ जाओ। हैं कितन | हिंदी शायरी

"बुलाती देवकी फिर से, निभाने प्रीत आ जाओ। हैं कितनी द्रोप्ती ब्याकुल दिखाने रीत आ जाओ। न मिलती प्रेम की राधा बहुत है शोर नफरत का, बजाकर फिर मधुर वंशी सिखाने प्रीत आ जाओ। रिंकी कमल रघुवंशी ’सुरभि’ ©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi"

 बुलाती देवकी फिर से,
निभाने प्रीत आ जाओ।

हैं कितनी द्रोप्ती ब्याकुल
 दिखाने रीत आ जाओ।

न मिलती प्रेम की राधा
बहुत है शोर नफरत का,

बजाकर फिर मधुर वंशी
सिखाने प्रीत आ जाओ।

रिंकी कमल रघुवंशी ’सुरभि’

©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi

बुलाती देवकी फिर से, निभाने प्रीत आ जाओ। हैं कितनी द्रोप्ती ब्याकुल दिखाने रीत आ जाओ। न मिलती प्रेम की राधा बहुत है शोर नफरत का, बजाकर फिर मधुर वंशी सिखाने प्रीत आ जाओ। रिंकी कमल रघुवंशी ’सुरभि’ ©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi

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