झूठ नहीं था, सब कुछ सच्चा था, वो बचपन ही अच्छा था,
कोई तनाव नहीं हर माहौल में हँसना था,
हमें लोग खिलते हुये गुलाब कहते थे,
जब ज्यादा मुस्कराते गोद में ले लेते।
झूठ नहीं था, सब कुछ सच्चा था, वो बचपन ही अच्छा था,
हाथ में खिलौने थे, सब दोस्त अपने थे,
अब कोई नहीं मिलता गांव में सब पर जम्मेदारियों को बोझा है,
अब बचपन नहीं है जवानी का मेला है।
©Gumnam Shayar
#bacpan