मां-बाप दुखी है कोई राह दिखाओ
अब आकर तुम सबको उनका फर्ज बताओ
अब कंस एक नहीं घर घर में बैठे है
शकुनी और कौरव हर मोड़ पर रहते हैं
कब तक बहनों को द्रौपदी कहलाना पड़ेगा
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा
मां अब भी रोती है, पिता अब भी हारे
प्रजा भी दुखी है , उन्हें कौन उबारे
तुम्हे प्रेम का पाठ फिर से पढ़ाना पड़ेगा
द्वारिकाधीश बनके फिर दिखाना पड़ेगा
पूरे जग को ही गोकुल बनाना पड़ेगा
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा
©Prachii Deepak Goel
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