@गुजरे पल बुलंदी की सीढ़ी शुरू ही हुआ था, स | हिंदी कविता Video

" @गुजरे पल बुलंदी की सीढ़ी शुरू ही हुआ था, सफ़र के आइने में मैं सबसे जुदा था। रातें घनीं थीं दिया भी बुझा था, जहाँ पे खुदा था वहीं पे खुदा था।। कहते सभी साथ परछाईं होता, तम में मगर साथ वह भी न देता। दूरी बड़ी थी डगर भी कठिन था, मगर कृष्ण-तम साथ बैठा जतन से।। आशाएं सबकी लेकर के मन में, चलता रहा लड़खड़ाए कदम से। शुरू जो किया हूँ खतम भी करुंगा, जेहन में यही बात रहता कसम से।। ©Madhusudan "

@गुजरे पल बुलंदी की सीढ़ी शुरू ही हुआ था, सफ़र के आइने में मैं सबसे जुदा था। रातें घनीं थीं दिया भी बुझा था, जहाँ पे खुदा था वहीं पे खुदा था।। कहते सभी साथ परछाईं होता, तम में मगर साथ वह भी न देता। दूरी बड़ी थी डगर भी कठिन था, मगर कृष्ण-तम साथ बैठा जतन से।। आशाएं सबकी लेकर के मन में, चलता रहा लड़खड़ाए कदम से। शुरू जो किया हूँ खतम भी करुंगा, जेहन में यही बात रहता कसम से।। ©Madhusudan

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