वो सुहानी शाम
जब हम मिले थे
तब दो दिल सिले थे I
वो नूरानी वक्त
जब इश्क इश्क नही
इबादत बन गया था
तब मैं तुझमे रम गया था I
वो रूहानी मौसम
जिसमें मैंने मोहब्बत ए जाम पीया था ,
खुद को तुम्हें सौंप दिया था I
खुदा की मेहरबानी से
तब मोहब्बत ए महफ़िल लगी थी
और इज़हार ए शायरी जगी थी I
-अमनदीप सिंह
©Poet Aman
#Relationship