मेहनत का तजुर्बा लेकर हर रात में पढ़ता हूं !
आसमां से ऊपर खुआब है , मेरे पलके किताबो पर ही रखता हूं !
राते बीत जाती है ,आसियाने में किताबों के सहारे मेरी !
मंजिल दूर है मुझसे मैं मानता हूं , पर जिंद है मेरी हकीकत में उसे पाने की !
पता है मेहनत करनी है , मुझे भविष्य को रोशन बनाने की !
उम्मीद की ज्वाला लेकर हर बार मुश्किलों से लड़ना है !
शत प्रतिशत सत्य है , मेरा जीवन अर्पण तुझ पर ही करना है !
RAS बनने की चाह दिल और दिमाग़ से उतरी नहीं है !
तभी तो RAS बनकर इस शहर से मिलना है !!
©KAVI ANDAAZ
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