ख्वाहिशों कब तलाक एक इंसान के हिस्से मे रेहत है व | हिंदी Shayari

"ख्वाहिशों कब तलाक एक इंसान के हिस्से मे रेहत है वक़्त हार एक को बदलने पे मजबूर करता है दिल के परिंदे कैद है ख्वाहिशों के पिंजरे मे अब वो उड़ने को खुला आसमान चाहता हैख्वाहिशों कब तलाक एक इंसान के हिस्से मे रेहत है वक़्त हार एक को बदलने पे मजबूर करता है दिल के परिंदे कैद है ख्वाहिशों के पिंजरे मे अब वो उड़ने को खुला आसमान चाहता है ©Arshu...."

 ख्वाहिशों कब तलाक एक इंसान के हिस्से मे रेहत है 
वक़्त हार एक को बदलने पे मजबूर करता है 
दिल के परिंदे कैद है ख्वाहिशों के पिंजरे मे 
अब वो उड़ने को खुला आसमान चाहता हैख्वाहिशों कब तलाक एक इंसान के हिस्से मे रेहत है 
वक़्त हार एक को बदलने पे मजबूर करता है 
दिल के परिंदे कैद है ख्वाहिशों के पिंजरे मे 
अब वो उड़ने को खुला आसमान चाहता है

©Arshu....

ख्वाहिशों कब तलाक एक इंसान के हिस्से मे रेहत है वक़्त हार एक को बदलने पे मजबूर करता है दिल के परिंदे कैद है ख्वाहिशों के पिंजरे मे अब वो उड़ने को खुला आसमान चाहता हैख्वाहिशों कब तलाक एक इंसान के हिस्से मे रेहत है वक़्त हार एक को बदलने पे मजबूर करता है दिल के परिंदे कैद है ख्वाहिशों के पिंजरे मे अब वो उड़ने को खुला आसमान चाहता है ©Arshu....

Hi @Mahi @jhanvi Singh Nîkîtã Guptā @Anupriya Lakshya Arya

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