नींदों की कस्ती पर डगमगाते हुए कुछ सपने है... आशा | हिंदी शायरी Video
"नींदों की कस्ती पर डगमगाते हुए कुछ सपने है...
आशा की झलक भी दिखती है और निरशाओं के अंबार भी...
हर तरफ अंधेरा है पर संघर्ष के प्रकाश भी तो है..!
सब मोह मया है...
दुनिया कल भी कमबख्त थी और आज भी है।"
नींदों की कस्ती पर डगमगाते हुए कुछ सपने है...
आशा की झलक भी दिखती है और निरशाओं के अंबार भी...
हर तरफ अंधेरा है पर संघर्ष के प्रकाश भी तो है..!
सब मोह मया है...
दुनिया कल भी कमबख्त थी और आज भी है।