#AzaadKalakaar नाम सुनते ही जिनका आ गया नसों में उबाल ,
खड़े हो गए तनकर , सीने हमारे गर्व से फूल गए हैं।
टांग रखा है तस्वीरों को दफ्तर की दीवारों पर,
आर्दशों और विचारों को हम , जिनके भूल गए हैं।
रिश्वतखोरी , और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं समाज सारा,
धर्म , जाति और क्षेत्रवाद के व्यस्भिचारों में हम सूल गए हैं,
नहीं ख्याल हमें भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू के बलिदान का,
जो चूमकर फांसी के फंदों को, हँसते- हँसते झूल गए हैं ।
©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
#AzaadKalakaar