बासी कढ़ी में भी आता है,अक्सर उबाल यारो,हैरा न हो पड़ोसी भी होता है*दलाल यारो//१
फर्ज निभाते२ कुर्बान हुई मेरी तमाम *मसर्रत,सिवाय इसके अब क्या है*हलाल यारो//२*खुशी*हक पे रहने वाला
जमाने के"रंजो_अलम,है सीने में,फर्ज का बोझ है*शानो पे,अब खुदी का क्या है*मलाल यारो//३
*दुख दर्द,*कंधे*अफसोस
कितना*दिलफरेब है,अपने जख्मी दिल को कुरेदना,खुदी में खो जाना यही तो