White दलितों ने झेली मुसीबतें हजार , दलित होना कित | हिंदी कविता

"White दलितों ने झेली मुसीबतें हजार , दलित होना कितना कठिन मेरे यार कोई कहता चूढ़ा कोई कह चमार , दलित होना कितना कठिन मेरे यार वर्ण की व्यव्स्था से जूझते रहे किस जात के हो हम से सब ये पूछते रहे गालियां मिली भूख मार गई उम्मीद की किरण दिन होते ढल गई सपने हुए ना पूरे देखे जो बार बार दलितों ने झेली मुसीबतें हजार, दलित होना कितना कठिन मेरे यार झूटन मिली खाने को कुछ और ना मिला मिलती हो जहा बराबरी वो मोड़ ना मिला मजबूरियों के हाथों खुशियां बेकनी पड़ी सर उठा कर चल सके ऐसा दौर ना मिला हम हो गए नीलाम अपने ही देश में हम गुलामों के भी गुलाम अपने ही देश मर गया दलित रोजाना ऐसा आता समाचार ©Sonu Sohanlal"

 White दलितों ने झेली मुसीबतें हजार , दलित होना कितना कठिन मेरे यार
कोई कहता चूढ़ा कोई कह चमार , दलित होना कितना कठिन मेरे यार
वर्ण की व्यव्स्था से जूझते रहे
  किस जात के हो हम से सब ये पूछते रहे
गालियां मिली भूख मार गई 
 उम्मीद की किरण दिन होते ढल गई
सपने हुए ना पूरे देखे जो बार बार
दलितों ने झेली मुसीबतें हजार,
 दलित होना कितना कठिन मेरे यार
झूटन मिली खाने को कुछ और ना मिला
मिलती हो जहा बराबरी वो मोड़ ना मिला
मजबूरियों के हाथों खुशियां बेकनी पड़ी
सर उठा कर चल सके ऐसा दौर ना मिला
हम हो गए नीलाम अपने ही देश में
हम गुलामों के भी गुलाम अपने ही देश
मर गया दलित रोजाना ऐसा आता समाचार

©Sonu Sohanlal

White दलितों ने झेली मुसीबतें हजार , दलित होना कितना कठिन मेरे यार कोई कहता चूढ़ा कोई कह चमार , दलित होना कितना कठिन मेरे यार वर्ण की व्यव्स्था से जूझते रहे किस जात के हो हम से सब ये पूछते रहे गालियां मिली भूख मार गई उम्मीद की किरण दिन होते ढल गई सपने हुए ना पूरे देखे जो बार बार दलितों ने झेली मुसीबतें हजार, दलित होना कितना कठिन मेरे यार झूटन मिली खाने को कुछ और ना मिला मिलती हो जहा बराबरी वो मोड़ ना मिला मजबूरियों के हाथों खुशियां बेकनी पड़ी सर उठा कर चल सके ऐसा दौर ना मिला हम हो गए नीलाम अपने ही देश में हम गुलामों के भी गुलाम अपने ही देश मर गया दलित रोजाना ऐसा आता समाचार ©Sonu Sohanlal

#sad_shayari

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