यहां आकर कोई सीधी राह चलता ही नहीं,
ये जवानी का तूफान संभाले संभलता ही नहीं,
हर कोई चाहता है दुनिया बदलने को,
लेकिन कोई खुद को बदलता ही नहीं,
मंजिलें कैसे ना मिलेंगे हम सबको,
मूड बनाकर कोई घर से निकलता ही नहीं।
#dharmendra Kumar Sharma muktak syayri yha akr koi sidhi rah