मैं कुछ न कहूं फिर भी वो सब जान लेती है एक मां ही | हिंदी कविता

"मैं कुछ न कहूं फिर भी वो सब जान लेती है एक मां ही तो है जो हमारे अहसासों को बखूबी जानती है अपने सारे दर्द भूलाकर जो जो हर क्षण हमारे लिए फिक्रमंद एक मां ही तो होती है जीवन की इतनी भरी उलझनों में एक सुखद सुकुन देती एक मां ही तो होती है कोई न भी जाने मां की खामोशी फिर भी सबको अपने स्नेह आंचल से सहेजने वाली एक मां ही होती है। ©Neha Tanwar"

 मैं कुछ न कहूं
फिर भी वो सब 
जान लेती है
एक मां ही तो है जो
हमारे अहसासों को बखूबी जानती है
अपने सारे दर्द भूलाकर जो
जो हर क्षण हमारे लिए फिक्रमंद 
एक मां ही तो होती है
जीवन की इतनी भरी उलझनों में
एक सुखद सुकुन देती 
एक मां ही तो होती है
कोई न भी जाने  मां की खामोशी 
फिर भी सबको अपने स्नेह आंचल से
सहेजने वाली एक मां ही होती है।

©Neha Tanwar

मैं कुछ न कहूं फिर भी वो सब जान लेती है एक मां ही तो है जो हमारे अहसासों को बखूबी जानती है अपने सारे दर्द भूलाकर जो जो हर क्षण हमारे लिए फिक्रमंद एक मां ही तो होती है जीवन की इतनी भरी उलझनों में एक सुखद सुकुन देती एक मां ही तो होती है कोई न भी जाने मां की खामोशी फिर भी सबको अपने स्नेह आंचल से सहेजने वाली एक मां ही होती है। ©Neha Tanwar

#MothersDay

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