White कांपते हुए हाथों से सिसकती हुई ज़बानओ से लड | हिंदी Shayari

"White कांपते हुए हाथों से सिसकती हुई ज़बानओ से लड़खड़ाते हुए कदमों से टूटी हुई कलमों से ओ समाज ओ समाज तुझे इन्हीं से हराएंगे तुझे इन्हीं में चिन्हित कर देंगे तेरा वजूद खाक कर देंगे हम तेरे दीवाने नहीं हम तेरे जानी दुश्मन हैं याद आई नानी याद आई निर्भया याद आई डॉक्टर याद आई मणिपुरी ©Anamika Tyagi"

 White कांपते हुए हाथों से 
सिसकती हुई ज़बानओ से
लड़खड़ाते हुए कदमों से 
टूटी हुई कलमों से
ओ समाज ओ समाज 
तुझे इन्हीं से हराएंगे 
तुझे इन्हीं में चिन्हित कर देंगे 
तेरा वजूद खाक कर देंगे 
हम तेरे दीवाने नहीं
हम तेरे जानी दुश्मन हैं 
याद आई नानी 
याद आई निर्भया
याद आई डॉक्टर
याद आई मणिपुरी

©Anamika Tyagi

White कांपते हुए हाथों से सिसकती हुई ज़बानओ से लड़खड़ाते हुए कदमों से टूटी हुई कलमों से ओ समाज ओ समाज तुझे इन्हीं से हराएंगे तुझे इन्हीं में चिन्हित कर देंगे तेरा वजूद खाक कर देंगे हम तेरे दीवाने नहीं हम तेरे जानी दुश्मन हैं याद आई नानी याद आई निर्भया याद आई डॉक्टर याद आई मणिपुरी ©Anamika Tyagi

#Nirbhaya_KolkataDoctor_enemyofSociety

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