DaminiQuote
ये शहर और बारिश_धीमे-धीमे आती
कोयल की कुकू संग नीज चैत बधाई गाती
मस्त-पवन के अद्भुत झोंके कभी धुप शरारत भाती
🌨🌨🌨
फसल है कहती_मत बरसो_घर जाना है बाकी
ये बैरी कब सुने किसी की_इतराती-इठलाती
गरज-बरस हाँ इसकी मर्जी_रिमझिम राग सुनाती
ये शहर और बारिश..
©दामिनी नारायण सिंह
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