बर्फ सी जमी हुई है वो चाहत से मेरी पिघलती नही
मैं लाख जलता हूं
उसमे चाह इश्क की सुलगती नहीं
मेरे लिए एक
पहेली सी बनी हुई है वो हालात से मेरी बुझती नही
मैं लाख जतन करता हूं
पर उनकी खामोशी से राहें कभी सुलझती नही
ये कैसी
बेरुख सी हस्ती है वो ख्याल से मेरे मचलती नही
मैं लाख जत्ताता हूं
लेकिन उसमें आरजू सनम की जगती नही
आखिर
वजह कोन सी है वो जज्बात को मेरे समझती नही
मैं लाख बदलता हूं
पर उसके नज़रिए में शक्सियत मेरी संवरती नहीं
©Rajender
#SnowAndFire