sunset nature उनकी दो आंखें सपनो से मिलने चली गई मेरी दो आंखे पलको को थामे जगी रही
तुमको नींद में देख के नींद न जाने क्यों ह कम क्यों अपनी सी लगने लगी हो आखिर कोन हो तुम जो भी हो तुम जहा से मुझ तक आई हो इतना तो तय है कि जीने की उम्मीदे लाई हो
तो अपना सा है अपने में जो नाम उसको क्या दे या फिर इस एहसास को बेनाम ही रहने दे
©(Mr.Deep)❤️
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