Unsplash जब पुरुष फांसी लगाता है तो घर में चाय पी | हिंदी Poetry

"Unsplash जब पुरुष फांसी लगाता है तो घर में चाय पीते हो, जब महिला फांसी लगाती है तो मोमबत्ती ले कर बैठते हो, गलती हो या न हो गलतियां निकलने बैठते हो , अखंड भारत देश में ऐसे भेदभाव करते हो, गिरते हुए लड़की को झुक कर तुम उठाते हो, पुरुष से लग जाए ठोकर तो पीछे मूड गालियां सुनते हो, गलत कौन सही कौन कुछ तो सोचो ए इंसान पुरुषों को ऐसे सजा देकर क्या बन जाओगे भगवान? ©Er. Ashish Kumar Sharma "

 Unsplash जब पुरुष फांसी लगाता है 
तो घर में चाय पीते हो,
जब महिला फांसी लगाती है 
तो मोमबत्ती ले कर बैठते हो,
 गलती हो या न हो 
गलतियां निकलने बैठते हो ,
अखंड भारत देश में ऐसे
भेदभाव करते हो,
गिरते हुए लड़की को झुक कर तुम उठाते हो,
पुरुष से लग जाए ठोकर तो 
पीछे मूड गालियां सुनते हो,
 
गलत कौन सही कौन 
कुछ तो सोचो ए इंसान
पुरुषों को ऐसे सजा देकर 
क्या बन जाओगे भगवान?

©Er. Ashish Kumar Sharma

Unsplash जब पुरुष फांसी लगाता है तो घर में चाय पीते हो, जब महिला फांसी लगाती है तो मोमबत्ती ले कर बैठते हो, गलती हो या न हो गलतियां निकलने बैठते हो , अखंड भारत देश में ऐसे भेदभाव करते हो, गिरते हुए लड़की को झुक कर तुम उठाते हो, पुरुष से लग जाए ठोकर तो पीछे मूड गालियां सुनते हो, गलत कौन सही कौन कुछ तो सोचो ए इंसान पुरुषों को ऐसे सजा देकर क्या बन जाओगे भगवान? ©Er. Ashish Kumar Sharma

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