बेटा ने कहा=> ऐ, वक्त जरा सा तू ठहर तो सही...!
ये जो सुबह का पहला खत, पापा के नाम लिख रखा है..!
इसे जरा सा तू पढ़ तो सही ..!
खत में लिखा था=> बेटा थोड़ा सा वक्त लगेगा आने में ...!
तू बस हौसला तो रख ...!
बेटा जख्म=>पर ज़ख़्म सहता रहा लेकिन कह न सका किसी और से..!
फिर कुछ दिनों=> बाद में एक खत आया ..!
लेकिन वक्त सवेरा का था=> खुशियां हमेशा के लिए लेकर आया..!
फिर=> पिता_ पुत्र ..!
बहुत अधिक समय बाद अपने परिवार के साथ एक हुए..!
अर्थात्=>फिर से एक बिछड़ा हुआ परिवार आज एक हुए...!
हम सब एक नया सवेरा के साथ नया जीवन का शुरुवात करें...!
©sumit sahu
#WinterEve