आजकल का बेटा नशे का आदी,
ऐसे में बच्चों की कैसे होगी शादी।
नशा है घर की बर्बादी, शादी नहीं तो कैसे बढ़ेगी आबादी।
ले बैठा आदमी को चिट्टा, घर-परिवार को रहती हरदम चिंता।
कैसे आगे वंश बढ़ पाएगा,
उम्र से पहले ही मौत को गले लगाएगा।
मातम फिर घर में पसर जाएगा,
पिता कैसे अकाल मृत्यु को भूल पाएगा।
आजकल की युवा पीढ़ी, जिसने पकड़ ली है गलत सीढ़ी।
मरने के लिए है उतारू, पीते हैं चाहे ढोला हो या मारू।
गलियों की खाक छानते फिरते, लाज-शर्म से वे नहीं डरते।
रिश्ते-नाते सब भूल जाता है,
गलत कृत्य करने से भी डरता है।
स्मैक हो या अम्ल, अभी शुरू कर दो उस पर अमल।
वरना असमय मृत्यु के मुंह में चले जाओगे,
हीरा-सा जीवन गंवाओगे ।
इसलिए चौहान सर करते हैं सबसे अनुरोध,
इस्तेमाल करो अपना बोध।
नशा दूर भगाना है, जीवन को बचाना है।
खुशियां लेकर आना है, अपना जीवन सफल बनाना है।
मानव जीवन दुबारा न पाओगे,
वादा करें अपने माता-पिता का दिल नहीं दिखाओगे।
©Shishpal Chauhan
"नशा"