कुछ ख्वाब है, कुछ उम्मीदें है मेरी हर सोती जागती | हिंदी Poetry Video

" कुछ ख्वाब है, कुछ उम्मीदें है मेरी हर सोती जागती रोज नींदे है मेरी पूरा करने को सपने रोज लिखती हूँ मैं मेहनत के बल से रोज़ निखरती हूँ मैं लाल हुआ सूरज, कल फिर से उग आता है वो पाखंडी चाँद भी फिर सुबह उब जाता हैं निरंतर चलता रहता हैं दिन रात का खेल यह मुझे बताता इनका दिन रात का मेल कुछ ऐसी उम्मीद है मेरी जो हर चीज़ से है जुडी ©Ritika Rajput "

कुछ ख्वाब है, कुछ उम्मीदें है मेरी हर सोती जागती रोज नींदे है मेरी पूरा करने को सपने रोज लिखती हूँ मैं मेहनत के बल से रोज़ निखरती हूँ मैं लाल हुआ सूरज, कल फिर से उग आता है वो पाखंडी चाँद भी फिर सुबह उब जाता हैं निरंतर चलता रहता हैं दिन रात का खेल यह मुझे बताता इनका दिन रात का मेल कुछ ऐसी उम्मीद है मेरी जो हर चीज़ से है जुडी ©Ritika Rajput

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